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कितनी चाय पी, कितनी बातें की, जिंदगी यूहीं गुज़र गई
कितनी चाय पी, कितनी बातें की, कभी हंसी में, तो कभी यादों में बीत गई, कप खाली होते रहे, किस्से चलते रहे, बस यूहीं चाय के साथ ज़िंदगी गुज़र गई।4
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