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Penned a small poem after going through case of Atul Subhash
ना लौट कर आऊंगा में, ना मुझको अब बुलाना, बस याद रखना मेरा फ़साना, मेरे दर्द को ना भूल जाना, हो सके तो मेरे मरने के बाद इन्साफ करना, जब तक ना मिले जालिम को सजा, मेरी राख साथ रखना, मर्द को भी दर्द होता हे ये बात याद रखना, ठहाकों के बीच मेरा तमाशा लगता रहा, वो मुझे मरने को कहती रही, बचाने वाला खुद हँसता रहा, कोई और यूँ ही मर ना जाये, बस इतना ख्याल रखना, मर्द को भी दर्द होता हे ये बात याद रखना, गलती ये के हमने उनको अपना जाना, उन्होंने बस दौलत को अपना माना, यहाँ और बहुत हैं मेरे जैसे, सताए जाते हैं हर रोज यूँ ही ऐसे, में चला हूँ अपने जैसों के लिए अपनी हस्ती मिटाके, मेरे जैसों की भी खबर हो सबको इसलिए एक खबर बनाके, मेरे जाने के बाद हो सके तो इन्साफ करना, मर्द को भी दर्द होता हे ये बात याद रखना।1
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