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नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर कुंभ जाने वाली भीड़ में भगदड़ , मरने वालों सबसे ज्यादा बिहार निवासी । सरकार कह रही अठारह मृत, पर लोगों का कहना संख्या बहुत ज्यादा । इस का जिम्मेदार कौन ?
वैसे देश में इंसान की जान एक चौपाया पशु से भी सस्ती है । खास कर जब बिहारी हो तो किसी को क्या ही फरक पड़ता है । काफी तो प्रार्थना कर ही रहे थे "बिहार को डिलीट कर दो । सारे बिहारी म* क्यों नहीं जाते " । और शैतान ने इनकी प्रार्थना सुन भी ली शायद पर प्रश्न यह है कि इसका जिम्मेदार कौन ? रेलवे, मोदी, दिल्ली सरकार ?? जवाब है इनमें से कोई नहीं जब आप धर्म और आस्था के नाम पर झूठ और पाखंड का प्रचार करोगे तो यही होगा । काफी दिनों से यह झूठ बेचा जा रहा था की एक सौ चौवालीस साल में ये कुंभ आया है । इसमें नहा लो तो भाग्य खुल जायेगें । बिहार में सबसे ज्यादा गरीब रहते हैं जिनका जीवन सबसे ज्यादा मुश्किल है । इधर के मारे और उधर से भी । उस गरीब को जब यह बोला जाए कि इस मुहूर्त में अलाहाबाद में जाके डुबकी लगा लो , भाग खुल जायेगें तो वह मर मरा कर जाएगा ही । उसको यह बोला जाए कि कुंभ में मरोगे तो मोक्ष मिलेगा तो क्या होगा फिर ?? इस नरसंहार के पीछे हर वो पाखंडी झूठा मक्कार जिम्मेदार है जिसने इन गरीबों को या झूठ की अफीम बेची । जब आप हिंदू धर्म ग्रन्थ पढ़ते हो जिनमें कुंभ का वर्णन है उसमें तो यह लिखा है कि समुद्र मंथन हुआ अमृत प्राप्ति के लिए । जब अमृत निकल गया तो युद्ध हुआ देव और असुर में । युद्ध हुआ बारह पौराणिक दिन तक जो मानव समय में बारह वर्ष होता है । इसीलिए कुंभ बारह साल पर होता है । और यह अमृत अलाहाबाद नहीं बहुत जगह गिरा था फिर यह झूठ किसने बोला कि जुपिटर ग्रह के चक्कर लगाने से कुंभ का दिन निकल कर आता है ? कोई एक ग्रन्थ दिखा दो जिसमें से लिखा है ? और एक सौ चौवालीस साल वाला कांसेप्ट किधर लिखा है ?? जो यह झूठ बेचा जा रहा बेशर्म की तरह ?? हर उस झूठे मक्कार पाखंडी पर मुकदमा होना चाहिए जिसने इन अनपढ़ गरीबों को झूठ बोल कर गुमराह किया है2
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