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इस आदमी की प्रोफाइल देख लो , सिर्फ बिहार और बिहारियों को नीचा दिखाना यही इसका काम है ।
जब ये लोग किसान आंदोलन कर रहे थे , लगभग सभी बिहारी नेता हो या लोग इनको सपोर्ट कर रहे थे । कुछ कट्टर भाजपा समर्थक वाले अपवाद छोड़ दो बिहार झारखंड का शायद ही ऐसा जिला होगा जहां रिफ्यूजी कॉलोनी न हो , उसमें सिख ना हो , उसमें गुरुद्वारा ना हो । ऐसे हजारों सिख परिवार मिल जाएगा जो बंटवारे के बाद इधर आए , उनको बिहार में जमीन मिला और उनकी तीन चार पुष्ट बिहार में पैदा और बड़ी हुई । चौरासी के दंगों का दौर हो या अस्सी नब्बे का जंगल राज । मुझे कभी नहीं लगता किसी सरदार को अपना बिहार का घर या व्यापार छोड़ कर जाना पड़ा हो । ना कभी इनके किसी भी बड़े छोटे गुरुद्वारा पर कोई अप्रिय घटना घटी हो । आज भी जमशेदपुर हो या पटना आपको कितने सिख मिल जाएंगे आराम से रहते , व्यापार करते बिना किसी परेशानी के । जिनका परिवार पाकिस्तान से सब छोड़ कर इधर आया था बिहार छोड़ो , इनके पंजाब के खेतों में काम करने वाले कितने मजदूर बिहारी मिल जायेगे । जिनका ये लोग खून चूस कर आधे पैसे में तीन गुना काम करवाते हैं । फिर इतनी नफरत क्यों ? मैने एक खबर ये भी देखी कि ऐसे कितने बिहारी जो तीस चालीस साल से पंजाब में रह रहे, सिख बन गए फिर भी इनको नस्लभेदी नफरत का शिकार होना पड़ता । कभी खबर आती किसी गांव से की पंचायत ने बिहारी को ban कर दिया है । मेरा मेरे बिहार भाइयों और बहनों से एक ही बात कहना है कि बिहार में आप कितना भी बावन, कुर्मी, ठाकुर, पासी, मांझी, कायस्थ, मोची, सोनार , कुशवाहा आदि कर लो बाहर वाले के लिए आप सिर्फ एक "बिहारी" ही हो । और हमारे राज्य का यह हाल और हर जगह से ऐसी बेइज्जती मिलती है क्योंकि हम बिहार में आज भी जातियों में बांटे हुए हैं । जिस दिन जात पात वर्ण व्यवस्था से ऊपर उठ कर है बिहारी अपनी पहचान सिर्फ एक बिहारी के तौर कर करेगा , बिहार की राजनीति , समाज सब बदल जाएगा । और ऐसे दो कौड़ी के टुच्चे दस बार सोचेंगे बिहारी को बेइज्जत करने से पहल4
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